Chapra-Saran

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  1. दिलकश आवाज व मोहक नृत्य की धनी है सारण की रत्नप्रिया

    छोटी सी उम्र से ही अपनी आवाज का जादू बिखरने वाली रत्नप्रिया अपनी जादुई व दिलकश आवाज के साथ गायिकी के क्षेत्र में आज एक हस्ताक्षर है। रत्नप्रिया जितनीआवाज की धनी है, उतनी ही नृत्य में निपुण। सारण की तेजी से बढ़ती युवा प्रतिभाओं में यह नाम खासा चर्चित है।रत्नप्रिया बांका जिले के शंभूगंज थानान्तर्गत कैथा ग्रामवासी पंकज पंजिकार एवंज्योति पंजिकार की सुपुत्री है। वह मगध महिला काॅलेज की अंग्रेजी प्रतिष्ठा की छात्रा है। मात्र 6 वर्ष की उम्र से संगीत में शास्त्रीय गायन की आरम्भिक शिक्षा जमुई से प्राप्त कर उच्च शिक्षा देवधर निवासी पं0 दिलीप नारायण खवाड़ेसे प्राप्त कर रही है।वर्तमान में प्रयाग संगीत समिति इलाहाबाद से डिस्टिंक्शन के साथ प्रभाकर उत्तीर्ण कर प्राचीन कला केन्द्र चंडीगढ़ से भास्कर (एम0 ए0) की छात्रा हैतथा सुगम संगीत से भी सिनीयर डिप्लोमा (चतुर्थ वर्ष) कर चुकी है। अप्रैल 2001 से संगीत की विधिवत शिक्षा आरम्भ करने वाली रत्नप्रिया जमुई के जिला स्तरीय सांस्कृतिक प्रतियोगिता में पुरस्कृत होते हुए वर्ष 2002 में जिला प्रशासन जमुई द्वारा शास्त्रीय संगीत का सर्वोच्च पुरस्कार प्राप्त किया। शुरूआती दिनों में हारमोनियम पर बजाती धुनों के साथ अपनी छोटी सी उम्र में ही रत्नप्रिया ने बड़े समारोहों में कहीं स्वागत गीत तो कहीं विदाई गीत गाकर महान हस्तियों का आशीर्वाद प्राप्त किया एवं दर्शकों की तालियाॅं बटोरी। आगे चलकर अपने सुरीले गायन से रत्नप्रिया नभारत के महामहिम भू0 पूर्व उपराष्ट्रपति स्व0 भैरोसिंह शेखावत, भू0 पू0 प्रधानमंत्री स्व0 चन्द्रशेखर, भू0 पू0 विदेश राज्य मंत्री स्व0 दिग्विजय सिंह, पटना उच्च न्यायालय के भू0 पू0 माननीय कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश नागेन्द्र राय, माननीय न्यायाधीश एस0 के0 कटरियार सहित तमाम हस्तियों से वाहवाही लूटी। इतना ही नहीं हिन्दी फिल्म जगत के सुप्रसिद्ध शास्त्रीय पाश्र्व गायक मन्नाडे एवं अतर्राष्ट्रीय गजल गायिका पिनाज मसानी ने भी प्रभावित होकर रत्नप्रिया के अंदर गायकी की असीम प्रतिभा छिपी होने ही बात कही। नवम्बर 2004 में आरा में आयोजित डी0 ए0 वी0 ग्रुप पटना क्षेत्र के 60 स्कूलांे के बीच क्षेत्रीय सांस्कृतिक प्रतियोगिता में एकल शास्त्रीय गायन एवं सुगम संगीत दोनोंही प्रतियोगिता में अलग-अलग प्रथम स्थान प्राप्त कर दो शील्ड एवं प्रशस्ति पत्र प्राप्त किया। रत्नप्रिया की बदौलत डी0 ए0 वी0 जमुई ने प्रथम स्थान प्राप्त किया।वर्ष 2011 में स्पीक मैके की गुरूकुल छात्रवृति योजना के तहत बिहार एवं झारखंड में छात्रा वर्ग में एकमात्र छात्रा के रूप में चयनित होकर कलकत्ता स्थित अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त गुरू 105 वर्षीय उस्ताद अब्दुल रसीद खांॅ, ठुमरी गायिका श्रीमति गिरीजा देवी, पं0 अजय चक्रवर्ती एवं पं0 उल्हासकशालकर से शास्त्रीय गायन की शिक्षा प्राप्त करने का अवसर मिला एवं अंतर्राष्ट्रीय कत्थक गुरू पं0 बिरजू महाराज से भी आर्शीवाद प्राप्त हुआ। रत्नप्रिया कई मौकों पर कत्थक नृत्य प्रस्तुत कर प्रथम स्थान प्राप्त कर चुकी है। वह कत्थक नृत्य में प्रयाग संगीत समिति इलाहाबाद से प्रभाकर (बी0 ए0)की छात्रा है।रत्नप्रिया के पिता पंकज पंजिकार फिलवक्त छपरा सिविल कोर्ट के सहायक अभियोजन पदाधिकारी हैं और उनकी यह सुपुत्री सारण का मान-सम्मान बढ़ा रही है। रत्नप्रिया बताती है कि अभी वह तानपुरा पर शास्त्रीय गायन बड़ा ख्याल, छोटा ख्याल, ध्रुपद, धमार एवं भजन, गजल, गीत, लोकगीत, फिल्मी गीत, बरिष्ठ कवियों की साहित्यिक रचनाएॅं इत्यादि सहजतापूर्वक प्रस्तुत करती है। सारण की धरती से निकले रत्नप्रिया के सुर अंतर्राष्ट्रीय आवाज बनने को प्रयत्नशील हैं।

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